बैतूल। एक समय था जब सड़क किनारे अंग्रेजों के जमाने में लगाए गए बड़े-बड़े विशालकाय पेड़ रसीलेदार फलों से लदे रहते थे। इन फलों का स्वाद और खुशबू बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लेती थी लेकिन स्वार्थी इंसानों ने अपना पेट भरने के लिए इन विशालकाय पेड़ों को जहां सुखा दिया वहीं इन्हें जमींदोज करने से भी कोई परहेज नहीं किया। जी-हाँ हम बात कर रहे हैं नेहरू पार्क के पास लगने वाली चौपाटी के समीप की। चौपाटी के समीप और पुलिस परेड मैदान की बाऊंड्रीवाल के पास एक कतार में लगे हुए विशालकाय आम सहित अन्य प्रजाति के विशालकाय पेड़ों को पहले सुखाया गया और उसके बाद इन पेड़ों को गिराया गया। इसके कई उदाहरण पुलिस परेड मैदान के पास आपको देखने को मिल जाएंगे जिससे स्पष्ट प्रतीत हो जाएगा कि अपना पेट भरने के लिए इन विशालकाय पेड़ों पर किस तरह का जुर्म ढाया गया है जिसके अब सिर्फ ठूंठ ही अवशेष के रूप में बचे हुए हैं।
पक्षियों का था पेड़ों पर बसेरा
पुलिस परेड मैदान की बाऊंड्रीवाल से सटकर लगे हुए इन विशालकाय पेड़ों पर कभी सैकड़ों पक्षियों का बसेरा हुआ करता था। इन पेड़ों को देखकर तो एक बानगी यही लगता था कि पेड़ों ने पक्षियों को अपने ऊपर आसरा दिया हुआ हो। पक्षियों की चहचहाट और पेड़ों की हरियाली पुलिस परेड मैदान पर सुबह और शाम की सैर करने आने वाले लोगों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित करती थी लेकिन स्वार्थवश अब सबकुछ खत्म हो गया है। अब यहां पर ना तो पेड़ बचे हैं और ना ही पक्षियों का बसेरा बचा हुआ है।
स्वार्थ के लिए सुखा दिए हरे-भरे पेड़
पुलिस परेड मैदान के पास स्थित चौपाटी के पास यह विशालकाय पेड़ लगे हुए थे। नगर पालिका ने इस पीडब्ल्यूडी चौक से लेकर अम्बेडकर चौक तक चौपाटी जोन घोषित कर दिया। यहां पर तरह-तरह के चाट, पीसा, बरगर,जूस, आईस्क्रीम सहित अन्य खाद्य पदार्थों के ठेले लगवा दिए गए। बस यही से शुरू हुआ पेड़ों का विनाश। इसके बाद पेड़ों पर बैठने वाले पक्षियों द्वारा यहां पर बीट की जाती थी जिससे चौपाटी में ठेले लगाने वालों का धंधा प्रभावित होता था साथ ही गंदगी भी फैलती थी इसलिए धीरे-धीरे इन पेड़ों को सूखा दिया गया और आज सिर्फ इन पेड़ों के ठूठ ही बाकी बचे हैं।
इनका कहना...
इतने बड़े-बड़े विशालकाय पेड़ों के अपने आप सुखने की कोई वजह ही दिखाई नहीं देती है। स्पष्ट है कि पक्षियों की बीट से परेशान होकर इन पेड़ों को सुखा दिया गया है ताकि गंदगी ना हो सकें और धंधा अच्छे चले।
मदन हीरे, वरिष्ठ अधिवक्ता, बैतूल
बचपन से इन विशालकाय पेड़ों को मैं देखते आ रहा हूं। इन पेड़ोंं से जहां राहगीरों को छांव मिलती थी वहीं रसीले फल भी प्राप्त होते थे। लेकिन षडय़ंत्र पूर्वक इन पेड़ों को सूखाकर गिरा दिया गया है ताकि गंदगी ना हो सकें।
संजय पप्पी शुक्ला, वरिष्ठ अधिवक्ता, बैतूल
पेड़ों को बचाना हम सभी का धर्म होना चाहिए। अपने स्वार्थ के लिए कुछ लोगों द्वारा पेड़ों का सफाया कर दिया जाता है यह बिल्कुल ही गलत है। ऐसा करने वालों पर कार्यवाही की जाना चाहिए।
सुरेंद्र मालवीय, वरिष्ठ अधिवक्ता, बैतूल
10
Jun 2020
by kchurhey73